| 1. | मराठी ग्रंथ का संपूर्ण आशय लगभग 2000 संस्कृत श्लोकों में निबद्ध कर
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| 2. | अत: उन्हें समझने में थोड़ी भी चूक अथवा भ्रम हो जाने पर न केवल उलझन ही बढ़ जाती है बल्कि संपूर्ण आशय ही भ्रष्ट हो जाता है।
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| 3. | अत: उन्हें समझने में थोड़ी भी चूक अथवा भ्रम हो जाने पर न केवल उलझन ही बढ़ जाती है बल्कि संपूर्ण आशय ही भ्रष्ट हो जाता है।
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| 4. | अत: उन्हें समझने में थोड़ी भी चूक अथवा भ्रम हो जाने पर न केवल उलझन ही बढ़ जाती है, बल्कि संपूर्ण आशय ही भ्रष्ट हो जाता है।
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| 5. | अत: उन्हें समझने में थोड़ी भी चूक अथवा भ्रम हो जाने पर न केवल उलझन ही बढ़ जाती है बल्कि संपूर्ण आशय ही भ्रष्ट हो जाता है।
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